संभ्रांत पत्नी से बॉस की रखैल बनने तक: सोनम की कहानी
लेखक: रत्नदत्त
नोट: यह कहानी एक पाठिका “सोनम” द्वारा भेजी गई है, जिसने अपनी पहचान छुपाने के लिए नाम बदलकर इसे प्रकाशित करवाने का अनुरोध किया है। कहानी को संपादित करके पठनीय बनाया गया है।
एक सामान्य शुरुआत
मैं सोनम, एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की। उन्नीस साल की उम्र में कॉलेज में दाखिला लिया। मेरा रंग गेहुँआ, फिगर 32B-28-34, और लंबे घने बाल जो मेरी खूबसूरती को और बढ़ाते थे।
एक शादी में विनय से मुलाकात हुई—22 साल का स्मार्ट लड़का, अच्छे खानदान से। जल्दी ही रिश्ता तय हो गया, और बिना किसी दहेज के मेरी शादी हो गई।
शादीशुदा जिंदगी का पहला पाठ
विनय की भाभी लतिका ने मुझे शादी से पहले ही गर्भनिरोधक गोलियां थमा दीं और सुहागरात के बारे में खुलकर बताया—”पहली बार दर्द होगा, लेकिन धीरे-धीरे मजा आने लगेगा।”
सुहागरात की रात विनय ने प्यार से मुझे संभाला। पहली बार का डर, फिर धीरे-धीरे आदत होती गई। हम सेक्स वीडियोज़ देखकर नए-नए एक्सपेरिमेंट करने लगे।
धोखा और धक्का
शादी के छह महीने बाद, विनय के बड़े भाई का एक्सीडेंट हो गया। वे व्हीलचेयर पर आ गए। भाभी उदास रहने लगीं, और विनय उन्हें खुश करने में जुट गए—शॉपिंग, घूमने-फिरने के बहाने।
एक दिन मैं अचानक घर लौटी, तो देखा विनय और भाभी एक साथ थे। सदमा लगा। मैंने तलाक की धमकी दी, लेकिन विनय ने कहा—”भैया को पता है, यह सिर्फ उनकी जरूरत पूरी करने का तरीका है।”
अकेलेपन की राह
मैंने घर छोड़ दिया। एक एनजीओ की मदद से डाटा एंट्री की नौकरी मिली। मेरे बॉस विशाल (40 साल, तगड़ा बदन) ने मुझे अपने दोस्त के फ्लैट में रहने का ऑफर दिया। मैं समझ गई कि उनकी नीयत साफ नहीं है, लेकिन पति के बेवफाई का बदला लेने के चक्कर में मैंने हाँ कर दी।
रखैल बनने की कहानी
पहले प्यार भरे लम्हे, फिर जबरदस्ती। विशाल ने मुझे लंड चूसने पर मजबूर किया, गांड मारी, और फिर अपने दोस्त अजय के साथ शेयर कर दिया। मैं सिर्फ एक खिलौना बनकर रह गई।
एक दिन मासिक धर्म के दौरान भी उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा। मारपीट की, गालियाँ दीं। तब मैंने समझा—यह जिंदगी नहीं, बल्कि जहन्नुम है।
वापसी की राह
एक दिन विनय का शोरूम नजर आया। वे मिले, मेरी हालत देखकर दुखी हुए। मैंने सब कुछ कबूल किया—नौकरी, बॉस का शोषण, अजय के साथ संबंध।
विनय ने कहा—”अगर तुम वापस आना चाहो, तो घर का दरवाजा खुला है। बस पहले डॉक्टर से चेकअप करवाना होगा।”
मैंने नौकरी छोड़ दी और वापस घर लौट आई।
सीख
इस सफर ने मुझे सिखाया कि:
- बदला कभी समाधान नहीं होता।
- गलत रास्ते पर चलकर सिर्फ खुद को नुकसान पहुँचाया जा सकता है।
- सच्चा सम्मान सिर्फ खुद की इज्जत करने से मिलता है।
क्या सोनम और विनय का रिश्ता फिर से पहले जैसा हो पाएगा? अगले भाग में पढ़िए…